सोमवार, 15 फ़रवरी 2021

अक्सर.. एक से ही होते हैं हम दोनों

मैंने तुम्हें अक्सर कमज़ोर देखा है। हां.. जब तुम दफ्तर से घर लौटने पर मुझे फटकार लगाते, अचार की बरनियों को लेकर जो धूप लगने के लिए रखी गई और शाम अंधेरे तक मैं घर में लाना भूल गई; जब तुम आदतन अपना बटुआ घर भूल जाते और दुकान में खड़े हो मुझे ऑनलाइन पेमेंट को फ़ोन करते; जब तुम बच्चों के ब्लड टेस्ट के सैंपल लेते व्यक्ति को बार बार उसी का काम संभाल कर करना सिखाते; जब तुम उन चूहों की जान के पीछे पड़ जाते जो बगीचे में लगे मटर को खा जाते; जब तुम हर बार अपना ई-मेल पासवर्ड भूल जाते.. हां, मैंने अक्सर तुम्हें कमज़ोर देखा है। मुझे नहीं बनना superwoman, मुझे पता होता है कि कब सहारे की ज़रूरत है तुम्हें, और कब सबक की.. मैंने तुम्हें अक्सर मज़बूत देखा है। हां.. जब मैं आंसुओं से भर जाती और तुम कहते-"कुछ हुआ ही नहीं!" जब मैं किसी बात पर बहुत गुस्सा हूं और बजाय पूछने के, तुम चीनी वाली चाय बना लाते; जब मैं मानूं हार और तुम दिखाते टी वी पर न्यूज़; जब तुम दोस्तों के बीच बैठते और मेरी लगातार की गई कॉल्स नहीं उठाते.. तुम नहीं हो superman, तुम जानते हो और मैं भी। हां, अक्सर हम एक से ही तो दिखते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें